आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद आवंटित मदिरा की दुकानें, शिकायत के बाद सक्रिय हुआ आबकारी विभाग; ठेकेदारों में हड़कंप
बलिया। आबकारी विभाग के नियमों के अनुसार, किसी अपराधी अथवा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले शख्स के नाम फुटकर शराब दुकान का लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता। दुकान आवंटित होने के बाद संबंधित अनुज्ञापी को शपथ पत्र प्रस्तुत करना होता है कि उसके खिलाफ किसी तरह का मुकदमा दर्ज नहीं है। बावजूद इसके, विभाग के अधिकारी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं हैं और धीरे-धीरे दो महीने बीत चुके हैं।
हाल ही में, आबकारी विभाग ने आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बावजूद बीस से अधिक मदिरा की दुकानों का आवंटन कर दिया है। इस अनियमितता को लेकर अंदर ही अंदर सुलग रही विरोध की चिंगारी अब ज्वाला बनती जा रही है। आरोप है कि विभागीय तालमेल से तथ्य को छिपाकर दुकानों का लाइसेंस प्राप्त किया गया है। मामला गरमाता देख जिला आबकारी अधिकारी अरुण कुमार दुबे ने मदिरा के दुकानदारों से चरित्र प्रमाणपत्र मांगा है। इस कार्रवाई से ठेकेदारों में खलबली मच गई है।
बताया जा रहा है कि इनमें से सात दुकानदार ऐसे हैं जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज है। इसमें से एक गोदाम संचालक भी है, जिसका मामला आबकारी आयुक्त से जुड़ा है और रिपोर्ट भेजने की तैयारी चल रही है।
जमानत पर रिहा होने के बाद, गोदाम संचालक छितेश्वर प्रसाद ने आबकारी और पुलिस विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एक मामले की डीएम से शिकायत करने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा और आबकारी अधिकारी ने उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसा दिया। छितेश्वर प्रसाद ने चौकी के सीसीटीवी फुटेज को जांच के समय तक सुरक्षित रखने की मांग की है।
जिला आबकारी अधिकारी अरुण कुमार दुबे के अनुसार, गोदाम संचालक के आरोप आधारहीन हैं। उनके मुताबिक, उसकी एक दुकानदार से पैसे के लेन-देन का मामला है, जिससे विभाग का कोई लेना-देना नहीं है। जिले के सभी अनुज्ञापियों को नोटिस जारी कर चरित्र प्रमाणपत्र मांगा गया था और अधिसंख्य लाइसेंसधारकों ने प्रमाणपत्र जमा कर दिए हैं। अब तक महज बीस अनुज्ञापियों ने नहीं दिया है, जिनमें से सात-आठ के खिलाफ मामले दर्ज हैं। नोटिस दिए जा चुके हैं और जवाब आते ही उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे।