बलिया में अवैध मिट्टी खनन से पर्यावरण और कृषि पर संकट
बलिया जिले में अवैध मिट्टी खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे पर्यावरण, आर्थिक स्थिति और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान तत्काल आवश्यक है। प्रशासनिक अधिकारियों को सतर्क होकर कार्यवाही करनी चाहिए और अवैध खनन को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। जागरूकता अभियानों के माध्यम से स्थानीय निवासियों को भी इस मुद्दे की गंभीरता के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे अपनी भूमि और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कदम उठा सकें।
बलिया: जिले के बेल्थरा रोड तहसील से आ रही खबरें चिंताजनक हैं। ग्रामीण इलाकों में खेतों से मिट्टी निकालकर बेचने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। ट्रैक्टर और लोडर खरीदकर बिना किसी अनुमति और परमिट के मिट्टी खनन की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन खनन गतिविधियों के साथ ही बिना परमिशन के मिट्टी का परिवहन भी धड़ल्ले से हो रहा है, जिससे राज्य को भारी रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है। यह स्थिति न केवल अवैध है, बल्कि इसके कई पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्प्रभाव भी हैं।
अवैध खनन का प्रचलन:
बलिया जिले में ट्रैक्टर और लोडर के माध्यम से खेतों से मिट्टी निकालकर बेचना एक व्यवसायिक प्रचलन बन गया है। ट्रैक्टर मालिक बिना पंजीकरण और परमिट के मिट्टी खनन कर रहे हैं। इस प्रकार की गतिविधियों से क्षेत्र की कृषि भूमि पर गहरा असर पड़ रहा है। उपजाऊ जमीन को खोदकर मिट्टी निकालने से भूमि बंजर हो रही है, जिससे किसानों की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान:
बिना अनुमति और परमिट के मिट्टी का खनन और परिवहन राज्य के लिए भारी रॉयल्टी के नुकसान का कारण बन रहा है। रॉयल्टी के रूप में सरकार को मिलने वाले राजस्व का नुकसान हो रहा है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रहा है। इसके अलावा, यह अवैध खनन पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है। मिट्टी की संरचना और गुणवत्ता में गिरावट आ रही है, जिससे क्षेत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:
अवैध खनन के कारण उठने वाली धूल और प्रदूषण मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रहे हैं। धूल के कण सांस के साथ शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं। इसके अलावा, मिट्टी खनन के दौरान उत्पन्न होने वाले शोर और धूल से क्षेत्र के निवासियों की जीवन गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
प्रशासनिक उदासीनता:
सड़कों, जिला मुख्यालय मार्गों और राजमार्गों पर बिना परमिट की ट्रालियाँ सरपट दौड़ रही हैं। रोड पर आते-जाते अधिकारी इन अवैध गतिविधियों को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं, जो प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे अवैध गतिविधियों पर रोक लगाएं और कानून का पालन सुनिश्चित करें।
समाधान और कार्यवाही की आवश्यकता:
उत्तर प्रदेश भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय को इस अवैध खनन के मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। अवैध खनन रोकने के लिए कड़े नियम और कानून लागू करने की आवश्यकता है। साथ ही, किसानों और स्थानीय निवासियों को इस समस्या के प्रति जागरूक करना भी जरूरी है ताकि वे अपनी भूमि और पर्यावरण की सुरक्षा कर सकें।
saurabh pandey
#ballia #ballianews #up #hindinewsballia