1 जुलाई से एफआईआर(FIR) दर्ज कराने से लेकर केस लड़ने तक का तरीका  सब बदल जाएगा , जानिए क्या क्या बदलाव होंगे

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आम लोगों की सुविधा के लिए 1 जुलाई से देश के कानूनों में कई नए प्रावधान किए जा रहे हैं। नए कानूनों के तहत अब देश के किसी भी कोने में रहने वाला व्यक्ति अपने स्थानीय थाने में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करा सकेगा।

एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया

1 जुलाई से मोबाइल या ईमेल के जरिए रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकेगी। हालांकि, आवेदक या उसके प्रतिनिधि को तीन दिन के अंदर थाने में जाकर एफआईआर पर हस्ताक्षर करने होंगे। इससे पुलिस द्वारा केस दर्ज करने में होने वाली देरी और परेशानी को कम किया जाएगा।

नया प्रावधान: जीरो एफआईआर

अब पीड़ित किसी भी राज्य में जाकर घटना की रिपोर्ट दर्ज करा सकेगा। अगर किसी कारणवश वह वहां के थाने में शिकायत दर्ज नहीं करा सके तो वह अपने शहर के किसी भी थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज करा सकेगा। यहां पुलिस जीरो एफआईआर दर्ज कर केस डायरी संबंधित थाने को ट्रांसफर कर देगी।

जांच प्रक्रिया में सुधार

पुलिस जांच के नाम पर किसी भी मामले को लंबा नहीं खींच सकेगी। डीएसपी रैंक के अधिकारी को 14 दिन के भीतर जांच करनी होगी।

अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करने के नए नियम

  • चेन स्नेचिंग, चोरी या डकैती: अब धारा 304 के तहत मामला दर्ज होगा।
  • आतंकी मामले: यूएपीए या धारा 113 के तहत मामला दर्ज होगा। राज्य पुलिस देश की अखंडता और एकता के खिलाफ आतंकी कृत्य करने वालों के खिलाफ जांच करेगी।
  • विदेश में बैठकर अपराध करने पर: नए प्रावधान के तहत विदेश में बैठे अपराधियों के खिलाफ भी गैर जमानती केस दर्ज किए जा सकेंगे।
  • शादी का लालच देकर दुष्कर्म: धारा 69 के तहत केस दर्ज होगा।
  • जुआ, परीक्षा में नकल: धारा 112 के तहत केस दर्ज किया जाएगा। ये गैर जमानती होंगे।
  • छोटे बच्चों को अपराध के लिए प्रेरित करने वालों पर: धारा 95 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
  • राजद्रोह: अब धारा 152 के तहत मामला दर्ज होगा। न्यूनतम सजा 3 से बढ़ाकर 7 साल की गई है।

विशेषज्ञों की राय

आरएस नागवंशी, विधि विशेषज्ञ एवं उप संचालक अभियोजन

“नए कानून से पीड़ितों को न्याय दिलाने में तेजी आएगी और पुलिस की जांच प्रक्रिया में सुधार होगा।”

नए कानूनों के लागू होने से आम जनता को न्यायिक प्रणाली पर विश्वास बढ़ेगा और अपराधों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। इन प्रावधानों से पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलेगा और पुलिस तथा न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।

जुलाई से देशभर में पुलिस और न्याय व्यवस्था से जुड़े नए कानून लागू हो जाएंगे। इन बदलावों के तहत एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस लड़ने तक की प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार किए गए हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, नए कानूनों से पीड़ित और पुलिस दोनों को अधिक मजबूती मिलेगी। तकनीकी उपायों और फोरेंसिक जांच की व्यापकता बढ़ने से न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी।

1. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)

साल पुरानी आईपीसी में बदलाव

आईपीसी की 511 धाराओं की जगह अब बीएनएस-2023 में 358 धाराएं होंगी। 21 नए अपराध जोड़े गए हैं और 41 धाराओं में सजा बढ़ाई गई है। पहली बार 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा भी जोड़ी गई है।

विशेषता: भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता के नाम से ही स्पष्ट है कि इसका फोकस पीड़ित को न्याय दिलाने पर है।

2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)

पुरानी सीआरपीसी की जगह नई संहिता

बीएनएसएस, 51 साल पुरानी सीआरपीसी की 484 धाराओं की जगह लेगी। 47 नई धाराओं के जुड़ने से अब कुल 531 धाराएं होंगी। पहले धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज होती थी, अब बीएनएसएस में धारा 173 के तहत दर्ज की जाएगी।

विशेषता: सीआरपीसी को दंड प्रक्रिया संहिता कहा जाता था। नए कानून में सजा पर नहीं बल्कि नागरिक सुरक्षा पर जोर दिया गया है।

3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम

पुराने कानून में संशोधन

152 साल पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 167 धाराएं थीं। इसके बजाय नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं होंगी। 15 नई धाराएं और परिभाषाएं जोड़ी गई हैं। धारा 24 में संशोधन कर 10 धाराओं की परिभाषाएं खत्म कर दी गई हैं।

विशेषता: पूरा कानून तकनीक और फोरेंसिक के आधार पर तैयार किया गया है, ताकि सजा का प्रतिशत 90% तक पहुंचे।

ये विशेषज्ञ देश, मध्यप्रदेश और भोपाल में नए कानून को लागू करने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

विजय चंद्रा

रजिस्ट्रार, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी

चंचल शेखर

एडीजी, मप्र पुलिस

हरिनारायणचारी मिश्रा

पुलिस कमिश्नर, भोपाल

नए कानूनों का प्रभाव

इन बदलावों से पुलिस की केस दर्ज करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और कोर्ट में केस लड़ने के दौरान लंबी तारीखों का इंतजार खत्म होगा। इससे न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी और तेज बनाने की कोशिश की जा रही है।

source and credit – दैनिक भास्कर

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