बलिया में मेडिकल दुकानों की जांच धीमी, तीन माह में 50 दवाओं के नमूने लिए गए
बलिया: हाल ही में नोएडा में नकली कैंसर दवा की बोतलों की खबर के बाद, बलिया में दवा की गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। जिले में औषधि एवं फार्मेसी अधिनियम के तहत दुकानों से दवाओं के नमूने लेने और उनकी जांच की गति धीमी है। मार्च से जून 2023 तक केवल 50 नमूने लिए गए हैं, और विभाग अभी भी इनकी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
बलिया में 1500 से अधिक पंजीकृत निजी मेडिकल स्टोर हैं, जिनमें से कई अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 173 दवाओं के नमूने लिए गए, जिनमें से दो फेल हो गए। पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 180 नमूने लिए गए थे, जिनमें से 10 मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए।
जांच के दौरान यह देखा जाता है कि स्टोर में दवाएं ठीक से रखी गई हैं या नहीं, और बेची जा रही दवाओं के लिए सही प्रमाणपत्र हैं या नहीं। नमूने आगरा लाइब्रेरी भेजे जाते हैं, और रिपोर्ट 30 से 45 दिनों में आती है। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर निर्माता कंपनी और थोक विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
जिला औषधि निरीक्षक श्रीदेश्वर शुक्ला ने बताया कि किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित स्टोर संचालक को नोटिस भेजा जाता है और दोषपूर्ण दवाएं जब्त कर ली जाती हैं। दुकानदार को उस रिटेलर का पर्चा दिखाना होता है, जिससे दवा खरीदी गई है, और उसके बाद रिटेलर, थोक विक्रेता और निर्माता को नोटिस दिया जाता है।
यह महत्वपूर्ण है कि इस प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाया जाए ताकि नकली और खराब दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाया जा सके।
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