बलिया: एआरटीओ कार्यालय में दलालों का वर्चस्व, सीडीओ और सिटी मजिस्ट्रेट ने एआरटीओ कार्यालय पर छापेमारी की
बलिया। एआरटीओ कार्यालय में वाहन से संबंधित लाइसेंस और फिटनेस के कामों के लिए दलालों का बोलबाला है। कार्यालय के अंदर से लेकर सड़क पर स्थित दुकानों तक, दलालों के बिना कोई भी काम संभव नहीं हो रहा है। इस स्थिति ने आम नागरिकों को मजबूर कर दिया है कि वे सीधे कार्यालय जाकर काम करने के बजाय दलालों का सहारा लें।
गुरुवार को सीडीओ और सिटी मजिस्ट्रेट ने एआरटीओ कार्यालय पर छापेमारी की। इस दौरान कई दलाल और कुछ प्राइवेट कर्मचारी भागने में सफल रहे, लेकिन चार प्राइवेट कर्मचारियों को अधिकारियों ने पकड़ लिया। इन कर्मचारियों के मोबाइल की जांच में कई अवैध लेन-देन के प्रमाण मिले। ये कर्मचारी ऐसी गतिविधियों में संलिप्त थे, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर थीं।
स्टाफ की कमी और दलालों का प्रभाव:
एआरटीओ कार्यालय में स्टाफ की कमी के कारण कई काम प्राइवेट कर्मचारियों से करवाए जाते हैं, लेकिन दलालों के बिना कोई भी काम संभव नहीं हो रहा है। छापेमारी के दौरान पकड़े गए चार प्राइवेट कर्मचारियों को सीज कर दिया गया है और उनके मोबाइल से संबंधित कई साक्ष्य जब्त किए गए हैं। इन कर्मचारियों से जब लेन-देन के बारे में जानकारी मांगी गई, तो वे कुछ भी स्पष्ट नहीं कर सके, जिसके बाद उन्हें थाने भेजा गया।
उच्चाधिकारियों की अनदेखी:
उच्चाधिकारियों की ओर से उचित ध्यान न दिए जाने के कारण दलालों के हौसले बुलंद हैं और कार्यालय का काम बिना दलालों के पूरा नहीं हो रहा है। सीडीओ ओजस्वी राज ने युवकों से पूछताछ करते हुए दलालों और प्राइवेट कर्मचारियों के बीच के लेन-देन का पता लगाने की कोशिश की।
इस छापेमारी से यह साफ हो गया है कि एआरटीओ कार्यालय में दलालों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए और कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
Source and data amar ujala
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