बाबुओं ने अपने दफ्तरों में ‘निजी सचिव’ रखे हैं, सीडीओ की छापेमारी में खुलासा

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बलिया – सरकारी दफ्तरों में कामकाज की प्रक्रिया में बदलाव के साथ ही एक नई प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। जहां मंत्रियों और सांसदों के निजी सचिवों के बारे में सभी ने सुना होगा, वहीं अब सरकारी दफ्तरों के बाबू भी अपने दफ्तरों में ‘निजी सहायकों’ को तैनात कर रहे हैं। ये सहायक सामान्य कार्यों के अलावा गोपनीय पत्रों को पढ़ने और डाटा एंट्री का काम भी करते हैं।

सीडीओ की छापेमारी

गुरुवार को बलिया के सीडीओ ओजस्वी राज ने बीएसए दफ्तर का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान, प्रभारी बीएसए सुनील कुमार चौबे (बीईओ बांसडीह) ने पुलिस को सूचना दी कि दफ्तर में सरया गांव का राज अहमद अंसारी अनाधिकृत रूप से काम कर रहा था। सीडीओ के निर्देश पर पुलिस ने युवक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 221 के तहत केस दर्ज किया है।

बीएसए कार्यालय में अचानक छापेमारी के दौरान यह मामला सामने आया। सीडीओ के निर्देश पर प्रभारी बीएसए ने मामले में त्वरित कार्रवाई की और बाहरी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।

निजी सहायकों की बढ़ती संख्या

सरकारी दफ्तरों में निजी सहायकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन सहायकों का काम केवल सामान्य कार्यों तक सीमित नहीं है; वे गोपनीय दस्तावेज पढ़ने और डाटा एंट्री जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी करते हैं। अधिकारियों की ताबड़तोड़ छापेमारी के बावजूद ये निजी सहायकों की गतिविधियां बेखौफ जारी हैं, जिससे दफ्तरों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

बाबुओं की स्थिति

समय के साथ काम करने के तरीके में बदलाव आया है। कलम और कागज की जगह कंप्यूटर ने ले ली है, लेकिन कई पुराने बाबू खुद को अपडेट करने के बजाय निजी सहायकों की मदद ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ये बाबू अपनी ‘ऊपरी कमाई’ का एक हिस्सा अपने सहायकों को देते हैं। सीडीओ की छापेमारी में पकड़े गए निजी सहायक ने विभागीय बाबू से अपने संबंधों को कबूल किया।

इस नई प्रवृत्ति से सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की संभावनाओं के मुद्दे उठ रहे हैं। अधिकारियों को इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है ताकि सरकारी कार्यों में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

Source- Hindustan samachar

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