सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या और बेड की कमी की समस्या

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बलिया: जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जबकि बेड की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है। इससे मरीजों की भीड़ बढ़ रही है और डॉक्टरों को मजबूरन मरीजों को रेफर या डिस्चार्ज करना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में पिछले दस वर्षों में ओपीडी (आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट) में मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पहले जहां 800 से 1000 मरीज प्रतिदिन आते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 1400 से 2000 के बीच हो गई है। इसके अलावा, इमरजेंसी में 200 से अधिक मरीज रोजाना पहुंचते हैं। लेकिन, इमरजेंसी में 16 और ओपीडी में 25 बेड होने के कारण सभी मरीजों को भर्ती करना मुश्किल हो जाता है।

बेड की कमी

जिला अस्पताल में कुल 176 बेड हैं, जबकि ट्रॉमा सेंटर में 10 बेड हैं, जिससे कुल 186 बेड हो जाते हैं। फिलहाल, 150 बेड पर मरीज भर्ती हैं और स्पेशल वार्ड के नाम पर अन्य बेड पर ताला लटका हुआ है। पहले अस्पताल में रोजाना 25 से 30 ऑपरेशन होते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 5 से 8 रह गई है।

बेड बढ़ाने का प्रस्ताव

मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई बार बेड बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अस्पताल में कोविड काल के दौरान बाल रोग वार्ड को आर्थोपेडिक वार्ड में मर्ज कर दिया गया था और नए भवन में एनसीआर वार्ड, डिजिटल एक्सरे और सीटी स्कैन जांच केंद्र खोला गया।

मेडिकल कॉलेज और विशेष वार्ड

नए मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव के साथ, जिला अस्पताल में भीड़ के मुकाबले 400 से अधिक बेड की कमी महसूस की जा रही है। महिला अस्पताल में 500 ओपीडी और करीब 35 इमरजेंसी बेड के साथ 164 बेड संचालित किए जा रहे हैं।

अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या और सीमित बेड की स्थिति मरीजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। बेड की कमी के कारण कई बार मरीजों को जमीन पर इलाज करवाना पड़ता है। इसके समाधान के लिए अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने और नए निर्माण की आवश्यकता है।

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