बलिया में बीएसए ने 121 शिक्षकों का वेतन रोका, छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने का अभियान शुरू
बलिया। शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के प्रयासों के तहत, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) मनीष कुमार सिंह ने “नो वर्क नो पे” नीति के अंतर्गत 121 शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों का वेतन रोकने का निर्णय लिया है। इस कार्रवाई में 10 प्रधानाध्यापक, 48 सहायक अध्यापक, 46 शिक्षामित्र, 15 अनुदेशक और 3 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं। यह सभी निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए गए थे, जिससे शिक्षा विभाग में लापरवाही के प्रति सख्ती का संकेत मिलता है।
निरीक्षण की प्रक्रिया
जिला शिक्षा अधिकारियों ने प्रेरणा पोर्टल के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ये सभी शिक्षक बिना किसी पूर्व सूचना के अनुपस्थित थे। बीएसए ने बताया कि यह लापरवाही न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है, बल्कि विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी नकारात्मक असर डाल रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि अन्य शिक्षकों को भी एक कड़ा संदेश मिले।
छात्र उपस्थिति में गिरावट
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित जिले के 2249 विद्यालयों में पंजीकृत छात्रों की संख्या करीब 2.10 लाख है। हालांकि, इनमें से केवल 40 से 50 प्रतिशत छात्र ही नियमित रूप से विद्यालय आते हैं, जबकि अन्य कभी-कभी ही उपस्थित होते हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बीएसए ने सभी शिक्षकों को निर्देशित किया है कि वे डोर-टू-डोर अभियान चलाकर छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास करें।
डोर-टू-डोर अभियान का महत्व
बीएसए मनीष कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों को घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क करना होगा और उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना होगा। इस अभियान का उद्देश्य बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाना और शिक्षा के प्रति अभिभावकों की जागरूकता को बढ़ाना है।
स्पष्टीकरण की मांग
इसके साथ ही, अनुपस्थित शिक्षकों से सात कार्य दिवसों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। अगर शिक्षकों का स्पष्टीकरण असंतोषजनक पाया गया, तो उनकी कार्रवाई पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रधानाध्यापकों से यह भी पूछा गया है कि उन्होंने बिना अनुमति के बार-बार अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है।
शिक्षा में सुधार की दिशा में कदम
इस प्रकार के कदम शिक्षा विभाग की गंभीरता को दर्शाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि शिक्षक की उपस्थिति न केवल उनकी जिम्मेदारी है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। यदि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं होती है, तो इससे छात्रों की शिक्षा प्रभावित होगी, जो कि किसी भी समाज के विकास के लिए नकारात्मक है।
यह स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग बलिया में छात्र उपस्थिति को बढ़ाने और शिक्षकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए गंभीर है। इस प्रकार के कदमों से न केवल छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है, बल्कि यह शिक्षक समुदाय में भी एक सकारात्मक बदलाव लाएगा।
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