10 ऑक्सीजन प्लांट में से मात्र दो चालू, स्टोर रूम में रखे कंसंट्रेटर खराब हो रहे
बलिया। आम लोगों के बेहतर इलाज के लिए कोविड काल में सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से खरीदे गए उपकरण शोपीस बन गए हैं। जिले में दस ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं, जिनमें से केवल दो चालू हैं, जबकि बाकी कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। सीएचसी के स्टोर रूम में रखे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी खराब हो रहे हैं।
कोरोना काल में जिला अस्पताल समेत ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन, ऑक्सीमीटर व अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गए थे। दस ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे, लेकिन जिला व महिला अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों में लगे प्लांट अब कबाड़ हो रहे हैं। सीएचसी के स्टोर रूम में रखे 700 कंसंट्रेटर मशीन, ऑक्सीमीटर व अन्य उपकरण खराब हो रहे हैं।
फेफना में विदेशी धन से 100 बेड का बैलून कोविड अस्पताल बनाया गया था। यह पूरी तरह एसी था। यहां लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट जिला अस्पताल में बंद पड़ा है।
संवाद: मौसम में बदलाव के कारण सीने में जकड़न के मरीज बढ़े हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन ऐसे 10 से 15 बच्चे इलाज के लिए लाए जाते हैं। जिले के किसी भी अस्पताल में पीडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) वार्ड की सुविधा न होने और जिला अस्पताल के पीकू वार्ड में ताला लगा होने के कारण बच्चों को रेफर करना पड़ता है। वेंटिलेटर, एसी, बेड समेत कीमती उपकरणों में से कुछ जिला प्रशासन और कुछ इब्राहिमपट्टी कैंसर अस्पताल को दिए गए।
ट्रॉमा सेंटर में पांच वेंटिलेटर लगाए गए हैं, गंभीर मरीज आने पर उसे इलाज की सुविधा मिलेगी। हालांकि, संक्रमण के डर से फिलहाल ट्रॉमा सेंटर का पीकू वार्ड बंद है। खराब हो चुकी ऑक्सीजन प्लांट को ठीक कराने के लिए पत्र लिखा गया है। कंसंट्रेटर मशीनों का उपयोग जरूरत के हिसाब से किया जाता है।
डॉ. विजयपति द्विवेदी, सीएमओ ने कहा, “करीब 10 वेंटिलेटर लगाए गए हैं, लेकिन काम नहीं कर रहे हैं। हृदय, सांस या अन्य गंभीर मरीज आने पर उन्हें वेंटिलेटर वार्ड में भर्ती करने के बजाय डॉक्टर हायर सेंटर रेफर कर देते हैं।”