सुरक्षा के लिए बनाए गए बैरियर कमजोर, एनएच-31 पर भी बढ़ा दबाव
गंगा नदी का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही कटान की समस्या भी बढ़ रही है। हुकुम छपरा से उदय छपरा तक गंगा के बहाव को मोड़ने के लिए बनाए गए तटबंध कमजोर हो गए हैं और गंगा नदी में समा रहे हैं। इसके उलटे बहाव से नेशनल हाईवे 31 पर भी दबाव बढ़ गया है, जिससे खतरे की स्थिति बन गई है।
गंगा का जलस्तर और खतरा
गायघाट स्थित केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, सोमवार शाम को गंगा का जलस्तर 58.550 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि, प्रति घंटे जलस्तर में आधा सेमी की कमी हो रही है, लेकिन यह अभी भी खतरे के निशान 57.615 मीटर से एक मीटर ऊपर बह रही है।
खतरे वाले बिंदुओं पर नजर
रामगढ़ में बाढ़ विभाग के कर्मचारी रात में भी जेनरेटर की रोशनी में खतरे वाले बिंदुओं पर नजर रख रहे हैं। साथ ही मिट्टी से भरी बोरियों का स्टॉक रखा गया है ताकि कटान को रोका जा सके। गंगा के पानी का दबाव गोपालपुर, सुघर छपरा बस्ती और आसपास के क्षेत्रों में बना हुआ है।
फसलों और लोगों पर असर
गंगा के बढ़ते जलस्तर ने सिताबदियारा के भगवान टोला, भवन टोला और जयप्रकाश नगर की मक्के की फसल को डूबा दिया है, जिससे किसानों में मायूसी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हजारों हेक्टेयर जमीन जलमग्न हो चुकी है, जिससे लगभग 20 हजार पशुओं के लिए चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। इसके अलावा, हरी सब्जियों की खेती भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे सब्जियों के दाम बढ़ने का खतरा है।
पेयजल और स्वास्थ्य संकट
बाढ़ प्रभावित तटवर्ती इलाकों में शुद्ध पेयजल की कमी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। दूषित पानी पीने से संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है, जिससे लगभग 25 हजार की आबादी प्रभावित हो सकती है।
प्रशासन की भूमिका
बाढ़ विभाग के अधिशासी अभियंता संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि एनएच-31 की सुरक्षा की निगरानी के लिए जेई को तैनात किया गया है और स्पर के नोज पर कोई खतरा नहीं है। हालांकि, प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन की ओर से कीटनाशकों का छिड़काव नहीं किया जा रहा है, जिससे समस्या और गंभीर हो रही है।