भिखारी ठाकुर: एक सच्चे सांस्कृतिक योद्धा

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बलिया जनपद के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कलेक्ट्रेट स्थित ड्रामा हाल में भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में उन्हें सही मायने में एक सांस्कृतिक योद्धा और सच्चे कला साधक के रूप में श्रद्धांजलि दी। मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों और गीतों के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी और उसे जागरूक किया।

भिखारी ठाकुर सही मायने में एक सांस्कृतिक योद्धा थे। सच्चे  कला साधक थे । उन्होंने अपने नाटकों और गीतों के माध्यम से समाज को जगाया और एक नई दिशा दी ।

सुप्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी

आशीष त्रिवेदी ने भिखारी ठाकुर को समाज का सजग प्रहरी बताया। उन्होंने बताया कि भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों में स्त्री विमर्श, युवाओं का रोजगार के अभाव में गांव से शहर की ओर पलायन, और धार्मिक तथा जातीय आडंबर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। उनके नाटकों ने समाज को झकझोर कर रख दिया और रंगकर्मियों के लिए उनके नाटक मंचित करना आज भी एक चुनौती बना हुआ है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक जी ने कहा कि भिखारी ठाकुर के नाटक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। उन्होंने कहा कि भिखारी ठाकुर द्वारा लिखे गए ‘विदेसिया’ नाटक में पलायन के दर्द को बहुत ही संवेदनशीलता से उकेरा गया है। जब तक पलायन की समस्या रहेगी, तब तक उनके नाटक प्रासंगिक रहेंगे।

गीतकार शिवजी पांडेय रसराज ने कविता के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर संकल्प के रंगकर्मियों ने भिखारी ठाकुर के नाटक ‘विदेसिया’ के गीत “पियवा गइलन कलकतवा ए सजनी” और “करि के गवनवा भवनवा में छोड़ि कर अपने परइल पुरूबवा बलमुआ” की प्रस्तुति दी, जिससे दर्शकों का मन मोह लिया। युवा लोक गीत गायक शैलेन्द्र मिश्र ने ‘बारहमासा’ “आवे ला आषाढ़ मास लागे ला अधिक आस” और ‘कजरी’ “बरसे सावन रसदार हो बदरिया घेरि आइल सजनी” गाकर माहौल को संगीतमय और मनमोहक बना दिया।

इस कार्यक्रम में ट्विंकल गुप्ता, आनंद कुमार चौहान, अनुपम पांडेय, रितेश पासवान, आदित्य, राहुल शर्मा, आदित्य शाह, जन्मेजय, ऋषभ, ऋतिक, सुशील, गुड़िया चौहान, रिया, खुशी, भाग्यलक्ष्मी, प्रत्यूष इत्यादि शामिल थे।

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