ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को यूपी में स्मार्ट मीटर लगाने की जिम्मेदारी: उपभोक्ता परिषद ने कानूनी लड़ाई की चेतावनी दी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटरों की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को इन मीटरों की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हाल ही में गोवा में ब्लैक लिस्टेड की गई कंपनियों को उत्तर प्रदेश में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर मिला है, जिससे उपभोक्ताओं के बीच चिंता बढ़ गई है।
ब्लैक लिस्टेड कंपनियों की समस्या
उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों ने स्मार्ट मीटरों की आपूर्ति के लिए विभिन्न कंपनियों को टेंडर जारी किए हैं। इन कंपनियों में से मेसर्स जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और मेसर्स एचपीएल इलेक्ट्रिक पावर लिमिटेड को गोवा के ऊर्जा विभाग द्वारा 5 अगस्त को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। इन कंपनियों को अब देश भर में स्मार्ट मीटर के टेंडर में शामिल होने से रोका गया है। यह निर्णय गोवा में इन कंपनियों द्वारा आपूर्ति की गई स्मार्ट मीटरों की गुणवत्ता को लेकर उठे गंभीर सवालों के बाद लिया गया था।
उपभोक्ता परिषद की चिंता
उपभोक्ता परिषद ने इन कंपनियों की उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की जिम्मेदारी को लेकर चिंता जताई है। परिषद का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटरों से रेडियो तरंगें निकलती हैं, और इन मीटरों की गुणवत्ता पर कोई समझौता उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो सकता है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कारपोरेशन और विद्युत वितरण निगमों के प्रमुखों को पत्र भेजकर इन दागी कंपनियों से काम न कराने की अपील की है। वर्मा ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर ऊर्जा विभाग ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो परिषद कानूनी कार्रवाई करने को बाध्य होगी।
उत्तर प्रदेश में स्थिति की समीक्षा
गोवा के ऊर्जा विभाग ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि जीनस और एचपीएल कंपनियों की गुणवत्ता असंतोषजनक पाई गई है और इन कंपनियों को केंद्र और राज्य सरकार के स्मार्ट मीटर टेंडर में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस जानकारी के बाद उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों की स्थिति पर फिर से जांच शुरू कर दी गई है। पावर कारपोरेशन के अधिकारी फिलहाल इस मुद्दे पर खुलकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, लेकिन यह तय है कि जांच के बाद गोवा और उत्तर प्रदेश के टेंडर नियमों की समीक्षा की जाएगी।
स्मार्ट मीटरों की गुणवत्ता पर उठे सवाल और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों की जिम्मेदारी ने उत्तर प्रदेश में ऊर्जा प्रबंधन को लेकर नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। उपभोक्ता परिषद का यह कदम इस बात को दर्शाता है कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा और मीटर की गुणवत्ता की जांच पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि इस मुद्दे को जल्द हल नहीं किया गया, तो यह भविष्य में और बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।
source-amar ujala