नई सूची के आदेश से 1600 शिक्षकों का भविष्य संकट में

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बेसिक शिक्षा विभाग के 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में हाईकोर्ट के आदेश के बाद बलिया जिले में कार्यरत 1600 शिक्षकों का भविष्य अनिश्चितता में पड़ गया है। ये शिक्षक प्रधानाध्यापक बनने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन नई मेरिट सूची तैयार करने के आदेश ने उनकी नौकरी पर भी संकट खड़ा कर दिया है।

हाईकोर्ट का फैसला और बढ़ती बेचैनी

पिछले शुक्रवार को हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती परीक्षा की मेरिट सूची को निरस्त कर दिया और सरकार को बेसिक शिक्षा के नियमों और आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए तीन महीने के भीतर नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया। इस फैसले के बाद बलिया के 1600 शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है, जिन्हें अब अपनी नौकरी की चिंता सताने लगी है।

भर्ती प्रक्रिया पर सवाल और शिक्षकों की चिंता

69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अक्टूबर 2020 में शुरू हुई थी, लेकिन आरक्षण के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। इसमें कहा गया था कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत के बजाय केवल 3.86 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को 21 प्रतिशत के बजाय 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। हालांकि, सरकार ने कहा था कि भर्ती नियमानुसार की जाएगी। अब जब हाईकोर्ट ने नई सूची जारी करने का आदेश दिया है, तो शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है।

शिक्षकों की प्रतिक्रिया और संभावित संकट

शिक्षकों का कहना है कि अगर नई सूची के अनुसार उनकी नौकरी चली जाती है, तो वे आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान होंगे। डॉ. घनश्याम चौबे, जिला अध्यक्ष, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक कल्याण संघ, बलिया ने कहा, “सरकार को ऐसे शिक्षकों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिनकी नौकरी संकट में है।”

धीरज राय, महासचिव, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक कल्याण संघ, बलिया ने कहा, “नई सूची कुछ लोगों के लिए रोजगार ला सकती है, लेकिन यह कई शिक्षकों को बेरोजगारी की स्थिति में भी ला सकती है।”

हाईकोर्ट के इस फैसले ने शिक्षकों की नौकरी को लेकर अनिश्चितता पैदा कर दी है। अब सरकार के अगले कदम पर निर्भर करेगा कि इन शिक्षकों का भविष्य क्या होगा। शिक्षा विभाग और सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए सभी शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना होगा।

source- amar ujala

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