जन आरोग्य मेला में स्वास्थ्य सेवा की लापरवाही
बलिया: रविवार को आयोजित जन आरोग्य मेला ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर लापरवाही का शिकार हो गया। अधिकांश केंद्रों पर एलोपैथी डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों, फार्मासिस्टों और वार्डबॉय ने मरीजों की जांच की और दवा दी। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने 3022 मरीजों का इलाज करने का दावा किया है।
इंदरपुर क्षेत्र के पीएचसी नगरा में होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. आशुतोष यादव ने मरीजों का इलाज किया, जबकि एलोपैथी चिकित्सक डॉ. शरद कुमार अपने आवास पर रहे। उनकी तैनाती 10 किमी दूर इंद्रौली मलकौली न्यू पीएचसी पर थी, लेकिन उन्होंने शहर में जॉइन नहीं किया।
नसीरपुर कलां पीएचसी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। फार्मासिस्ट प्रदीप त्रिपाठी ने अकेले मरीजों को दवा दी। सफाई कर्मचारी की कमी के कारण अस्पताल में गंदगी फैली हुई थी।
पीएचसी मुरली छपरा में डॉ. देवनीति ने 23 मरीजों की जांच की, जबकि प्रभावती देवी सीएचसी जेपी नगर में डॉ. पवन कुमार सिंह ने 31 मरीजों का इलाज किया।
न्यू पीएचसी टोला, न्यू पीएचसी कर्ण छपरा, और न्यू पीएचसी बहुआरा पर भी डॉक्टरों की अनुपस्थिति रही। यहां सिर्फ वार्डबॉय और फार्मासिस्टों के भरोसे इलाज किया गया।
चितबड़ागांव नगर पंचायत स्थित पीएचसी पर डॉक्टर की कुर्सी खाली रही। 30 मरीजों ने इलाज के लिए वहां का रुख किया, जिनमें से 14 ने सर्दी, खांसी और बुखार की दवा ली। फार्मासिस्ट ने दवा दी, लेकिन परिसर में पीने का पानी की भी व्यवस्था नहीं थी।
कई मरीजों ने इलाज की कमी और जांच की न होने की शिकायत की। बीबीपुर, बढ़वलिया, अख्तियारपुर, पलिगरा, और नसीरपुर कलां गांव के मरीज समुचित इलाज न मिलने से निराश होकर लौट गए।
यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट करती है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां डॉक्टरों की तैनाती और सुविधाओं की कमी है।