नई परिवहन नीति 2025: सड़क सुरक्षा के लिए नियम सख्त
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने के उद्देश्य से, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नई परिवहन नीति की घोषणा की है, जिसके तहत 2025 से हल्के और 2026 से भारी वाहनों के लिए नए सुरक्षा मानक लागू होंगे। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य देश में सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना और दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और गंभीर चोटों की संख्या को कम करना है।
हल्के वाहनों के लिए 2025 से नए मानक
मंत्रालय के अनुसार, 31 मार्च 2025 के बाद निर्मित सभी हल्के निजी और सार्वजनिक वाहनों में आगे और पीछे दोनों सीटों के लिए सीट बेल्ट अलार्म सिस्टम अनिवार्य किया जाएगा। वर्तमान में, पीछे की सीटों पर सीट बेल्ट पहनने का नियम तो है, लेकिन अधिकतर वाहनों में इसे लागू करने के लिए अलार्म सिस्टम उपलब्ध नहीं है। नए नियमों के तहत, यदि कोई यात्री सीट बेल्ट नहीं पहनता है, तो अलार्म बजना शुरू हो जाएगा, जिससे यात्रियों को सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर 1,000 रुपये के चालान का भी प्रावधान है।
सड़क इंजीनियरिंग में सुधार
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भी घोषणा की कि अगले दो वर्षों में सड़क इंजीनियरिंग में सुधार लाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सड़कों और हाईवे पर पाई गई खामियों, जैसे कि तीखे मोड़, खराब स्पीड ब्रेकर, अव्यवस्थित मर्जिंग लेन, और घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग को दूर करने के लिए व्यापक योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा, नए हाईवे के डिजाइन को मंजूरी देने से पहले उसकी कम्प्यूटराइज्ड इमेजिंग की जाएगी, ताकि निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की खामी को रोका जा सके।
भारी वाहनों के लिए 2026 से सुरक्षा मानक
2026 से, भारी वाहनों, जैसे बसों, ट्रैवलरों और मिनी बसों के लिए भी सीट बेल्ट अलार्म सिस्टम अनिवार्य किया जाएगा। इन वाहनों में हर सीट पर सीट बेल्ट पहनना जरूरी होगा। इसके साथ ही, सरकारी बसों में यात्रियों को यात्रा शुरू करने से पहले सुरक्षा मानकों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके लिए एक विशेष एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की जाएगी, जिससे लोग अधिक जागरूक हो सकें और सुरक्षा मानकों का पालन कर सकें।
सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। न केवल यातायात नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा, बल्कि सड़क इंजीनियरिंग में सुधार के साथ वाहनों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। इससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आने की उम्मीद है और भारत में सुरक्षित यातायात का सपना साकार हो सकेगा।