कूड़े के अंबार के बीच स्वच्छता पखवाड़े का संघर्ष

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वर्तमान में नगर पालिका क्षेत्र में स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जा रहा है, जिसमें सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को व्यापक सफाई के लिए निर्देशित किया गया है। हालांकि, शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर और सफाई की लापरवाही ने इस अभियान की गंभीरता को कमजोर कर दिया है।

नगर में सफाई की स्थिति

इस समय बारिश होने से कूड़े के ढेरों से दुर्गंध फैल रही है। नगर पालिका के 25 वार्डों में सफाई कार्य के लिए कुल 40 वाहन तैनात हैं, जिनमें डंपर, ट्रैक्टर, और जेसीबी शामिल हैं। फिर भी, सफाई की प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं हो रहा है। अधिकारियों के अनुसार, इन वाहनों पर हर महीने लगभग 6 से 7 लाख रुपये का डीजल खर्च होता है, लेकिन इसके बावजूद स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

सफाई कर्मियों की कमी

नगर पालिका में कुल 134 स्थायी और 70 संविदा सफाई कर्मचारी हैं। इसके अतिरिक्त, सफाई कार्य के लिए एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है, जिसके पास 192 कर्मचारी तैनात हैं। हालांकि, शहर में कूड़े का ढेर साफ करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हाल के दिनों में विशुनीपुर मोहल्ले में सड़क किनारे कूड़े के ढेर पाए गए, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी उत्पन्न हुई है।

व्यवस्था में बदलाव की असफलता

हाल ही में नगर पालिका ने सफाई एजेंसी में बदलाव किया था, ‘आर्यन’ कंपनी को हटाकर ‘लॉयन’ ग्रुप को जिम्मेदारी दी गई। अधिकारियों का दावा था कि पहले वाली कंपनी अच्छी सेवा नहीं दे रही थी, लेकिन लोगों का मानना है कि बदलाव से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है।

नागरिकों की समस्याएँ

स्वच्छता पखवाड़े और सर्वेक्षण के दौरान नगर पालिका की उदासीनता के कारण नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई सार्वजनिक स्थलों पर कूड़े के ढेर पड़े रहने से स्थानीय लोग परेशान हैं। विशेषकर विशुनपुर-चित्तू पांडेय चौराहा मार्ग पर कूड़े का मामला उठाया गया, लेकिन फिर भी कार्रवाई नहीं की गई।

इतने संसाधनों और कर्मचारियों के बावजूद सफाई कार्य में ढिलाई ने नगरवासियों के जीवन को कठिन बना दिया है। नगर पालिका को अब इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि स्वच्छता पखवाड़ा अपने उद्देश्यों में सफल हो सके और नागरिकों को एक साफ-सुथरा वातावरण मिल सके।

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