सूचना का अधिकार (RTI) क्या है?

सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI) भारत में एक महत्वपूर्ण क़ानून है जो नागरिकों को सरकार से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह कानून 2005 में लागू किया गया था और इसका उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की मुख्य बातें:
- सूचना का अधिकार – कोई भी भारतीय नागरिक सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकता है।
- 30 दिन की समय-सीमा – सरकारी अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर जानकारी प्रदान करनी होती है।
- अर्ज़ी शुल्क – RTI आवेदन के लिए सामान्यतः ₹10 का शुल्क लगता है।
- अधिकार प्राप्त अधिकारी (PIO) – हर सरकारी विभाग में एक जन सूचना अधिकारी (Public Information Officer – PIO) नियुक्त किया जाता है जो जानकारी देने के लिए उत्तरदायी होता है।
- नकारात्मक उत्तर के खिलाफ अपील – यदि मांगी गई सूचना नहीं दी जाती है या संतोषजनक नहीं है, तो प्रथम और द्वितीय अपील की जा सकती है।
RTI के लाभ:
✅ सरकारी पारदर्शिता में वृद्धि – भ्रष्टाचार कम करने में मदद मिलती है।
✅ जनता की जागरूकता बढ़ती है – नागरिकों को सरकार की नीतियों और कार्यों की जानकारी मिलती है।
✅ लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा – लोग प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी रख सकते हैं।
RTI कैसे दायर करें?
- लिखित आवेदन तैयार करें – संबंधित विभाग को संबोधित करते हुए अपनी जानकारी स्पष्ट रूप से लिखें।
- शुल्क का भुगतान करें – आमतौर पर ₹10 शुल्क पोस्टल ऑर्डर या बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से जमा करना होता है।
- RTI आवेदन भेजें – आवेदन संबंधित सरकारी विभाग के PIO को भेजें।
- उत्तर प्राप्त करें – 30 दिनों के भीतर उत्तर प्राप्त करें, अन्यथा अपील करें।
RTI की सीमाएं:
🔹 राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती।
🔹 व्यक्तिगत जानकारी (जो किसी अन्य व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करती हो) नहीं दी जा सकती।
🔹 वाणिज्यिक गोपनीयता और न्यायिक मामलों से जुड़ी जानकारी नहीं दी जा सकती।
सूचना का अधिकार (RTI) आम जनता को सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक प्रभावी उपकरण प्रदान करता है। इसका सही उपयोग भ्रष्टाचार को कम कर सकता है और सुशासन को बढ़ावा दे सकता है।
आप किसी भी सरकारी विभाग से RTI के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं।