विभाग ने छह घंटे कटौती कर 1,842 मेगावाट बिजली बेची
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में छह घंटे की बिजली कटौती का विरोध तेजी से बढ़ता जा रहा है। पावर कॉरपोरेशन ने इस कटौती के माध्यम से 1,842 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों को बेची है, जिससे उपभोक्ताओं में नाराजगी फैल गई है। इसके विरोध में उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसमें रोस्टर प्रणाली को नियम विरुद्ध बताते हुए सभी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
बिजली आपूर्ति का अधिकार
बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति का अधिकार है। बिजली विभाग ने तीन महीने पहले रोस्टर प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन इसे 1 जुलाई से फिर से लागू किया गया। विभाग ने 2 जुलाई को 1,842 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों को बेची थी। गर्मियों में जहां कारपोरेशन ने करीब 10 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी थी, वहीं इन दिनों 2.31 रुपये से 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली मिल रही है, जिससे बिजली खरीद पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ रहा है।
उपभोक्ता परिषद का विरोध
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग को बताया कि छह घंटे की कटौती के आदेश से प्रदेश में प्रति व्यक्ति बिजली खपत कम होगी। वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 1,208 यूनिट थी, जबकि यूपी में यह मात्र 629 यूनिट थी। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में छह घंटे, बुंदेलखंड में चार घंटे और तहसील व नगर पंचायत मुख्यालयों पर ढाई घंटे की कटौती के निर्देश दिए गए हैं।
विद्युत नियामक आयोग में गुहार
बुधवार को अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय सिंह से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि ऊर्जा विभाग ने गर्मियों में 30,700 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर रिकॉर्ड बनाया है। अब बिजली की मांग 26,287 से 27,000 मेगावाट के बीच है, इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली देने की बजाय छह घंटे कटौती की जा रही है।
अन्य राज्यों को बिजली बेचना जनहित के खिलाफ
वर्मा ने नियामक आयोग को अन्य राज्यों को बिजली बेचने की जानकारी दी और इसे जनहित के खिलाफ बताया। उन्होंने जनहित प्रस्ताव दाखिल करते हुए मांग की कि उपभोक्ता अधिकार नियम 2020 के तहत 24 घंटे बिजली आपूर्ति का नियम लागू किया जाए। विद्युत नियामक आयोग को तत्काल पावर कॉरपोरेशन को बिजली कटौती बंद करने का निर्देश देना चाहिए।
अधिकारियों की चुप्पी
रोस्टर जारी करने के मुद्दे पर बिजली विभाग के अधिकारियों से पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। इस जनहित प्रस्ताव के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। अब देखना यह है कि विद्युत नियामक आयोग इस पर क्या कदम उठाता है।