बलिया जिला अस्पताल में बाहरी दवा और जांच पर स्वास्थ्य विभाग का कड़ा रुख

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बलिया जिला अस्पताल में मरीजों को बाहर की दवा और जांच लिखने के कई मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है। अब अगर कोई चिकित्सक बाहर की दवा या जांच लिखता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मरीजों को अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग का कड़ा रुख

बलिया जिला अस्पताल में लगातार मरीजों को बाहर की दवा और जांच लिखने की शिकायतें मिल रही थीं। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इस पर सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। अगर कोई चिकित्सक इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शिकायत करने के लिए मोबाइल नंबर जारी

सीएमओ डॉ. विजयपति द्विवेदी ने तीन व्हाट्सऐप और मोबाइल फोन नंबर अस्पताल परिसर में चस्पा करवाए हैं। ये नंबर मरीजों और उनके परिजनों को शिकायत दर्ज करने में मदद करेंगे। अगर कोई डॉक्टर बाहर की दवा या जांच लिखता है, तो मरीज या उनके परिजन इन नंबरों पर संपर्क कर शिकायत कर सकते हैं।

  • डॉ. अभिषेक मिश्रा: 9170000085
  • मुरली श्रीवास्तव: 9450488595
  • शैलेंद्र पांडेय: 8299589591

सीएमओ डॉ. विजयपति द्विवेदी ने कहा, “अगर कोई सरकारी अस्पताल का डॉक्टर बाहर की दवा या जांच लिखता है, तो मरीज या तीमारदार दिए गए किसी भी नंबर पर फोन कर शिकायत दर्ज करवा सकता है। शिकायत की जांच के बाद डॉक्टर पर कार्रवाई होगी और अगर जरूरी हुआ तो मरीज को दवा का पैसा डॉक्टर वापस करेंगे।”

शिकायतों की जांच और कार्रवाई

इन नंबरों पर आने वाली शिकायतों की जांच स्वयं सीएमओ अपने स्तर से करेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मरीज के लिए लिखी गई दवा जीवनरक्षक है या कमीशन के चक्कर में बाहर की दवा लिखी गई है। अगर जांच में पाया जाता है कि चिकित्सक ने जानबूझकर बाहरी दवा लिखी है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अस्पताल की व्यवस्था में सुधार

इस कदम का उद्देश्य अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाना है। सीएमओ डॉ. विजयपति द्विवेदी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि मरीजों को उनकी जरूरत की सभी दवाइयां और जांचें अस्पताल के भीतर ही उपलब्ध हों। बाहरी दवाइयों और जांचों पर रोक लगाने से मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी और उनकी चिकित्सा सुविधा में सुधार होगा।”

बलिया जिला अस्पताल के इस निर्णय से न केवल मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उनकी चिकित्सा सुविधाओं में भी सुधार होगा। स्वास्थ्य विभाग का यह कदम सरकारी अस्पताल की सेवाओं का अधिकतम लाभ मरीजों को सुनिश्चित करेगा और चिकित्सकों द्वारा बाहरी दवाइयों और जांचों के लिखने पर प्रतिबंध लगेगा। अगर किसी मरीज को कोई समस्या होती है, तो वे आसानी से शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और उनकी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

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