परिषदीय स्कूलों में बच्चों का जन्म पंजीकरण अनिवार्य

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उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में अब बच्चों का जन्म पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। शासन के निर्देशों के तहत बेसिक शिक्षा विभाग ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। स्कूलों में बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड नंबर को निर्धारित पोर्टल पर अपलोड करना आवश्यक होगा।

आधार कार्ड की अनिवार्यता

हाल ही में परिषदीय स्कूलों में आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि बच्चों की ड्रेस, बैग और जूते-मोजे के लिए मिलने वाले धन का ट्रांसफर आधार कार्ड से जुड़े खातों में किया जाएगा। इस नए दिशा-निर्देश के तहत प्रधानाचार्य और शिक्षक अब बच्चों और उनके अभिभावकों के आधार कार्ड बनवाने में जुट गए हैं।

कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ

हालांकि, स्कूलों में आधार कार्ड बनवाने में अभी भी कई चुनौतियाँ आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई अभिभावकों के आधार कार्ड अब तक नहीं बन पाए हैं, जिसके चलते कई बच्चे DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) से वंचित रह गए हैं। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने शासन को पत्र लिखकर सभी विद्यार्थियों का जन्म पंजीकरण कराने का आदेश दिया है।

प्रशासनिक प्रक्रिया की जटिलताएँ

हालांकि, यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक साल बाद शपथ पत्र देना पड़ता है, साथ ही फीस भी देनी होती है। इस मामले में बजट की कमी भी एक बड़ा सवाल है। नगर निगम और अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की स्थिति में भी अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

संभावित प्रभाव

अगर विभाग द्वारा सख्ती की गई तो इसका नकारात्मक असर स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या पर पड़ सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि प्रशासन इस दिशा में कोई प्रभावी उपाय करे, ताकि सभी बच्चों के लिए इस प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाया जा सके।

इस दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रक्रिया बिना किसी बाधा के पूरी हो सके। बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनके लिए शिक्षा का समान अवसर सुनिश्चित करना सभी का दायित्व है।

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