फर्जी होम्योपैथिक कॉलेज घोटाला: 38 कॉलेज संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
फर्जी तरीके से होम्योपैथिक फार्मेसी कॉलेज खोलकर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाला करने के मामले में 38 कॉलेज संचालकों के खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) लखनऊ ने 47.63 करोड़ रुपये के इस घोटाले में शामिल एक कॉलेज प्रबंधन को भीमपुरा थाना क्षेत्र के शाहपुर टिटिहा से गिरफ्तार किया है।
घोटाले का पर्दाफाश: कैसे खुली पोल?
यह घोटाला फर्जी मान्यता प्राप्त होम्योपैथिक फार्मेसी कॉलेजों के माध्यम से किया गया, जिसमें छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का गबन किया गया। उत्तर प्रदेश होम्योपैथी चिकित्सा बोर्ड के अधिकारियों और संविदा लिपिकों ने इस घोटाले में अहम भूमिका निभाई। समाज कल्याण विभाग द्वारा 2020 में की गई जांच में इस गबन का खुलासा हुआ, जिसमें यह पाया गया कि 38 निजी शिक्षण संस्थानों को बोर्ड से फर्जी मान्यता दिलाई गई थी।
गबन की रकम और एफआईआर दर्ज
वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान हुए इस घोटाले में कुल 47 करोड़ 63 लाख 98 हजार रुपये का गबन किया गया। समाज कल्याण विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर लखनऊ के वजीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। इस एफआईआर में उत्तर प्रदेश होम्योपैथी चिकित्सा परिषद के संविदा लिपिकों और 38 कॉलेजों के संचालकों को आरोपी बनाया गया। बाद में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई।
गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई
ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर और मामले के जांच अधिकारी मोहम्मद जैनुद्दीन अंसारी ने बताया कि भीमपुरा के शाहपुर टिटिहा में स्थित आशा सिंह होम्योपैथिक फार्मेसी कॉलेज के प्रबंधक अंगद सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह कॉलेज भी उन 38 संस्थानों में शामिल है, जो फर्जी मान्यता के आधार पर संचालित हो रहे थे। अंगद सिंह पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी प्रवेश लेकर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि हड़प ली।
इस बड़े घोटाले ने एक बार फिर शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। ईओडब्ल्यू की जांच और गिरफ्तारियों के बाद उम्मीद है कि अन्य दोषियों पर भी जल्द कार्रवाई होगी, जिससे इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
Source- amar ujala