पर्याप्त बारिश न होने से किसानों पर संकट: हजारों एकड़ खेत परती, नहरों में पानी नहीं
बलिया। जिले में पर्याप्त बारिश न होने, नहरों में पानी की कमी और बिजली संकट के कारण हजारों एकड़ खेत अब तक परती पड़े हैं। खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई के इस सीजन में प्रतिकूल मौसम ने अन्नदाताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
किसानों की समस्याएँ
पिछले बुधवार को ‘हिन्दुस्तान’ ने गढ़ांचल के भरौली, उजियार और आसपास के लगभग एक दर्जन गांवों की स्थिति की पड़ताल की। किसानों ने बताया कि बिजली संकट के कारण नहरों में पानी नहीं आ रहा है और भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे बोरिंग से भी पानी नहीं मिल पा रहा है। इस क्षेत्र में करीब सात से आठ सौ एकड़ खेत परती पड़े हैं।
पुर और पकड़ी क्षेत्र के अधिकांश खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है, लेकिन नहरों में पानी की कमी बनी हुई है। भरौली हिसं में किसानों का कहना है कि अच्छी बारिश न होने के कारण गंगा का पानी तालाब में फंसा हुआ है, जिससे नलकूप भी पानी नहीं दे पा रहे हैं। मिस्त्री कुआं खोदकर नलकूप पंप लगाने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन कुआं खोदने के बावजूद भी पानी की कमी बनी हुई है, जिससे सिंचाई की लागत बढ़ गई है।
कृषि विभाग का दावा
कृषि विभाग का कहना है कि जिले में अब तक 1.11 लाख 293 हेक्टेयर खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है। जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति ने बताया कि शासन ने जिले में 1.15 लाख 229 हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा है। मध्यम और पछेती किस्मों की रोपाई 15 अगस्त तक की जा सकती है।
नहरों की स्थिति
गड़हांचल क्षेत्र में कोरंटाडीह पंप नहर का ट्रांसफार्मर एक सप्ताह से जल चुका है, जिससे नहर सूखी पड़ी है। इस पंप नहर के टेल तक पानी नहीं पहुंचा है। वर्तमान में केवल 250-300 हेक्टेयर खेतों की ही सिंचाई हो पा रही है। नहर का ट्रांसफार्मर जलने के कारण सिंचाई की स्थिति गंभीर हो गई है।
नारायणपुर निवासी टिंकू राय का कहना है कि ट्रांसफार्मर के जलने के बाद कनेक्शन मिलने में देरी हो रही है और डीजल पंप को 14 घंटे चलाना पड़ रहा है। मैकेनिक राधेश्याम यादव का कहना है कि जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे सिंचाई में कठिनाई हो रही है। अगर जल्दी बारिश नहीं हुई, तो उजियार, भरौली, रामगढ़, अमांव, गोविंदपुर, टुटुआरी समेत कई गांवों के हजारों बीघा खेत परती रह जाएंगे।