जिले में एंबुलेंस चालकों की गुणवत्ता पर सवाल: 250 चालकों में से 10 पर आपराधिक मामले
बलिया जिले में एंबुलेंस चालकों की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में पता चला है कि जिले में कुल 250 एंबुलेंस चालकों में से 10 के खिलाफ विभिन्न थानों में मारपीट और अन्य गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमे दर्ज हैं। यह स्थिति तब सामने आई है जब जिले में एंबुलेंस चालकों की नियुक्ति और उनके पृष्ठभूमि की जांच की जानी चाहिए थी।
सुरक्षित एंबुलेंस: वास्तविकता और भ्रांतियाँ
परिवहन विभाग के अनुसार, जिले में 250 एंबुलेंस पंजीकृत हैं, जिनमें 102 और 108 नंबर की 80 सरकारी एंबुलेंस शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 170 निजी एंबुलेंस भी पंजीकृत हैं। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, धरातल पर इनकी संख्या दोगुनी या तिगुनी बताई जा रही है। कई एंबुलेंस पर्यटन और निजी वाहनों के नाम पर पंजीकृत हैं, जिनका इस्तेमाल स्थानीय लोग कम कीमत पर कर रहे हैं।
जिला अस्पताल में बढ़ती समस्याएँ
जिला अस्पताल परिसर में खड़ी कई निजी एंबुलेंस पर निजी अस्पतालों का नाम लिखा हुआ है, जबकि ये एंबुलेंस सरकारी अस्पताल के मरीजों को ले जाने और लाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इन एंबुलेंस के चालकों की कमीशन की लालच मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने का काम करती है। इस प्रक्रिया में डॉक्टरों और फार्मासिस्ट को भी कमीशन मिलता है, जिससे मरीजों को दोगुना खर्च उठाना पड़ता है। कई मरीजों ने इस पर शिकायत की है, लेकिन किसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
परिवहन और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारियाँ
परिवहन विभाग सिर्फ एंबुलेंस की फिटनेस और चालक के लाइसेंस की जांच करता है। जबकि अस्पताल संचालकों को अपराध इतिहास की जांच करनी चाहिए, और स्वास्थ्य विभाग को एंबुलेंस के उपकरणों की गुणवत्ता की भी निगरानी करनी चाहिए। बावजूद इसके, परिवहन और स्वास्थ्य विभाग के पास गैर मानक निजी एंबुलेंस के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने की कोई योजना नहीं है।
एंबुलेंस चालकों की पृष्ठभूमि की जांच में ढिलाई और गैर मानक एंबुलेंस के खिलाफ उचित कार्रवाई की कमी ने मरीजों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। यह स्थिति तत्काल सुधार की मांग करती है, ताकि मरीजों को बेहतर और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें।
source- amar ujala