समितियों के प्रभारी यूरिया उठान में नहीं दिखा रहे रुचि, किसानों को एक बोरी के लिए भी मोहताज

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बलिया। जिले के गोदामों में 40,225 टन यूरिया का विशाल स्टॉक होने के बावजूद, यह किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है। मुख्य कारण समितियों के प्रभारियों द्वारा यूरिया उठान में रुचि नहीं दिखाना है, जिससे किसान निराश होकर लौट रहे हैं और खुले बाजार से महंगी दरों पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं।

समितियों की स्थिति और प्रभारी अधिकारियों की निष्क्रियता

जिले में 160 समितियां संचालित हैं, जिनमें से केवल 86 में ही सचिव तैनात हैं। कई समितियों का संचालन सिर्फ प्रभारियों के भरोसे हो रहा है, जो यूरिया उठान में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण, किसानों को समितियों से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं, समितियों के सचिव भी किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे किसानों को खाद और बीज की आपूर्ति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों की समस्याएं और असंतोष

कई किसान शिकायत कर रहे हैं कि समितियों में न तो खाद मिलती है, न ही बीज। हर सीजन में उन्हें खुले बाजार से खरीदारी करनी पड़ती है। समितियों की स्थिति इतनी खराब है कि उन्हें कभी-कभार ही खोला जाता है, और सचिव किसानों के साथ कोई संवाद नहीं करते। कुछ समितियों की हालत तो खंडहर जैसी हो चुकी है, और किसानों को खाद और बीज पाने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

सरकार के प्रयास और वास्तविकता

सरकार जहां समितियों को हाईटेक बनाने पर जोर दे रही है, वहीं जमीनी हकीकत यह है कि समितियों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। किसानों की समस्याओं को सुनने और उन्हें हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

जिला कृषि अधिकारी का बयान

जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति के अनुसार, “जिले में यूरिया का पर्याप्त स्टॉक है, और इसकी मांग भी की गई है। समितियों को खाद एकत्र कर वितरित करने के निर्देश दिए गए हैं, और समितियों की जांच भी की जा रही है।”

समितियों की वर्तमान स्थिति और प्रभारियों की निष्क्रियता के चलते किसान यूरिया के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार और संबंधित विभागों को इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देकर समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि किसानों को समय पर और उचित मूल्य पर यूरिया मिल सके।

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