सरयू नदी का उफान: बाढ़ की आशंका से परेशान ग्रामीण

0

बिल्थरारोड, सरयू नदी का जलस्तर पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है, जिससे नदी किनारे बसे दर्जनों गांवों के हजारों लोग बाढ़ की आशंका से सहमे हुए हैं। हाल के दिनों में लगातार बारिश ने नदी के जलस्तर में वृद्धि को और भी बढ़ावा दिया है। हालांकि, गुरुवार से जलस्तर में धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।

जलस्तर की स्थिति

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, गुरुवार शाम चार बजे सरयू नदी का जलस्तर 64.720 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरा बिंदु 64.010 मीटर से 71 सेंटीमीटर अधिक है। इस बीच, नदी का जलस्तर अब आधा सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से घट रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 24 घंटों में जलस्तर में कमी का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। लेकिन इससे पहले ही कई गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

प्रभावित गांवों की कहानी

हिसाम बांसडीह की बात करें तो टीएस बांध के उत्तर की बस्तियों में पानी भर चुका है। कोलकला गांव की बिंद बस्ती, सुल्तानपुर गांव की पोखरा बस्ती, रेंगहा, ककटी, और सुअरहा जैसे गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। सरयू की बाढ़ ने इन गांवों के निवासियों को चारों ओर से घेर लिया है, जिससे ग्रामीणों के लिए दैनिक जीवन यापन करना कठिन हो गया है।

बाढ़ के कारण, भोजपुरवा, चक्की दियर, मलाहीचक, खादीपुर, और सुल्तानपुर के किसानों की सैकड़ों एकड़ खेती भी जलमग्न हो चुकी है। प्रभावित लोग टीएस बांध पर या बाढ़ राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और राहत कार्यकर्ता बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए जुटे हुए हैं।

गंगा की तुलना में सरयू की स्थिति

जबकि गंगा नदी आमतौर पर कटान करती है, सरयू नदी की कटान कम होती है। सरयू नदी में लहरों की गहराई 20-25 फीट होती है, जबकि गंगा में यह 40-50 फीट तक जा सकती है। इसके बावजूद, हालात में सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारी एनएच-31 को गंगा नदी के कटान से बचाने में जुटे रहे, लेकिन इसी बीच सरयू की लहरों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर हमला बोल दिया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

राहत कार्य और भविष्य की योजना

स्थानीय निवासियों के लिए टीएस बांध पर जाने का एकमात्र साधन नाव है। मथनाग गांव में करीब एक दर्जन लोगों की झोपड़ियां पूरी तरह पानी से घिर चुकी हैं। स्थानीय प्रधान संजय यादव और झरकटाहा प्रधान प्रतिनिधि शैलेश सिंह ने प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री और नाव की व्यवस्था की मांग की है।

जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। राहत शिविरों में भोजन, चिकित्सा, और आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन इस बाढ़ के खतरे को देखते हुए, प्रशासन को चाहिए कि वे दीर्घकालिक योजनाएं बनाएं ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटा जा सके।

सरयू नदी का बढ़ता जलस्तर और बाढ़ की आशंका ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। जलस्तर में थोड़ी कमी आना राहत की बात है, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर है। प्रशासन को चाहिए कि वे त्वरित कार्रवाई करें और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए सभी संभव प्रयास करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *